अनुभूति 02
इस नए दिखावा के दुनियां में ,,सत्य से और गलतियों से मुख मोड़ते हैं लोग ,, ऐसे में अगर आप जिज्ञासा रखते हैं कुछ सीखने का ,सत्यता रखते हैं अंतर्मन में तो आप बहुत आगे जाने वाले हैं।
मंच पर कविता पढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है,बड़ी बात है अच्छी कविताएं पढ़ना ,,आजकल 70% मंचीय कवियों को लिखना नहीं आता है। सौ डेढ़ से कॉमेंट लाइक लेकर कई लोग तो खुद को अंतराष्ट्रीय कवि घोषित कर चुके हैं।
एक ओपन माइक के कवि थे,,उनका नाम नहीं लूंगा लेकिन आधी पंक्ति कहता हूं,,
बहर वहर तुम जानो...... साहब इन पंक्तियों के बदौलत दो ढाई साल बहुत ऊपर चले गए।
लेकिन दो तीन साल से दिख नहीं रहे कहीं,,और वर्तमान समय में खुद बहर सिख रहे.....
अगर आपको अपने जीवन काल में ही विचारधारा बदलनी पड़ रही है तो यकीन मानिए ,,आप कविता लिखने के लिए परिपक्व नहीं हुए हैं...
साहित्य यथार्थवादी लोगों के लिए है ,,तुष्टिकरण करने वाले केवल चारण हो सकते हैं कवि नहीं।
उर्दू शायरी मुहब्बत से शुरू हुई थी आज कुछ नए शायर इश्क़ के आसपास भटका रहे हैं।
हिंदी कविता में काव्य अनुभूतियों को अलग अलग रस दिया गया। और सभी रस को उचित सीमा दिया गया ।
कुछ लोग अश्लीलता अभ्रदता फैलाने में लगे हुए हैं।
मैं विगत 9 वर्षो से कविता से जुड़ा हुआ हूं , अध्ययन करता हूं,थोड़ा बहुत लिखता हूं।
कई बार ऐसे मौके आए कि अश्लील गीत लिखकर अपने लेखनी को आय का जरिया बना सकता था ,लेकिन मुझसे नहीं हो पाया और कोशिश भी नहीं किया काव्यधारा के विरुद्ध लिखकर नाम ऊंचा करने की,, क्योंकि मेरा मानना है कुकृत्य से प्रसिद्धि पर सिर्फ और सिर्फ दाग़ लगेगी।
और तो और जिन महानुभावों ने मुझे हमेशा सिखाने का प्रयास किया ,उनकी ख्याति भी कलंकित हो जाएगी।
मां वाघीश्वरी ने जिस मुख को उन्नत प्रवाहमय छंद पढ़ने के लिए शक्ति दी,जिस हाथ को ओजधारा लिखने की तीव्रता दी उनके वरदानों को झुठलाने का कोशिश हम जैसे अर्धकाव्य रथी को कदापि सोभा नहीं देगी।
अनुभूति:एकांश
©दीपक झा "रुद्रा"
Shrishti pandey
09-May-2022 10:39 AM
Nice
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Swati chourasia
06-May-2022 12:41 PM
बहुत सही लिखा है आपने 👌👍🙏
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Reyaan
06-May-2022 11:40 AM
👌👏🙏🏻
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